डायरी - अभिनव अशेष



डायरी गुम हुई तो  क्या,
यादें अब भी बाकी है,
शब्द बिखर गये तो क्या,
भावनायें अब भी बाकी है,
जिन पन्नों पर संजोइ थी
दास्तां दिल की,
वो गुम हुई तो क्या,
जिस शिद्दत से लिखी थी सारी दास्तां,
वो दिल की स्याहि अब भी बाकी है,
डायरी गुम हुई तो क्या,
यादें अब भी बाकी है|
This piece of work came after being unsuccessful in my search for "meri pyari dyari" where I used to pen down my emotions in the form of articles, poems and short stories.

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